भक्तो की मनोकामना पूर्ण करने वाली माता Shri saptshrungi mata in hindi

 Shri saptshrungi mata in hindiनमस्कार दोस्तों आज हम जानने वाले है माँ सप्तश्रुंगी के बारे में ,

Shri saptshrungi mata in hindi
 Shri saptshrungi mata in hindi


माँ दुर्गा का स्वरूप कहे जाने वाली माता सप्तश्रुंगी को सादर प्रणाम करता हूं और उनकी कहानी आपको बताता हूं ,Shri saptshrungi mata in hindi मान्यता के अनुसार इंद्र देव को महिषासुर नामक राक्षस ने बहुत ही परेशान किया और सभी देवताओं को भी तंग करने लगा कहते हैं कि उसे भगवान शिव से वरदान प्राप्त था कि उसे कोई इंसान मार नही सकता इसी लिए माता ने अवतार लिया और उस रक्षक का संहार किया। 

माँ सप्त श्रृंगी देवी स्वयंभू है कहते,

 कि भगवान ब्रह्मा जी के कमण्डलु से निकली गिरिजा महानदी का रूप सप्त श्रृंगी माता है। ये स्थान संतो की भूमि महाराष्ट्र मे नाशिक जिले वणी गांव में स्तिथ है।'Shri saptshrungi mata in hindi'
माता का यह मंदिर ४८०० ऊंचे सप्तश्रुंगी पर्वत पर स्थित है, कहते कि यहां पर सात सुंदर पर्वत है सातो पर्वत श्रृंखला देखने लायक है। इस पर्वतों ने मंदिर को चारो तरफ से घेरा है इसीलिए इस मंदिर को सप्तश्रुंग कहा जाता है। 

सप्तशृंग यहां पर वास करने वाली माता को ही सप्तश्रुंगी माता कहा जाता है। 
पौराणिक कथाओं के अनुसार भगवान राम और माता सीता वनवास के समय पर यहां दर्शन के लिए आए थे।"Shri saptshrungi mata in hindi"

माँं कि मूर्ती करीब आठ फीट ऊंची है और माँ के इस स्वरूप में १८ भुजाए है , माता को साड़ी से सुशोभित किया जाता है। माता की मूर्ति सिंदूर से लिपटी हुई है।Shri saptshrungi mata in hindi
अलग अलग हाथों में अलग अलग शस्त्र है, सिर पर सोने का मुकुट है।


चैत्र और आश्विन नवरात्र मे यहां विशेष उत्सव होते हैं,

कहते है कि यहां देवी के दो रूप नजर आते हैं चैत्र में देवी का स्वरूप प्रसन्न होता है और अश्विन में गंभीर रूप दिखाई देता है। लेकिन माता किसी भी रूप में रहे अपने भक्तो पर कृपा करती है।
देवी की यहां पर महाकाली , महालक्ष्मी और महासरस्वती के रूप मे पूजा की जाती है । 
नाथसंप्रदाय मै भी माता को विशेष महत्व है।
सप्तश्रुंगी माता के मंदिर में होने वाले उत्सव
चैत्र और आश्विन नवरात्र मे यहां विशेष उत्सव होते हैं,
कहते है कि यहां देवी के दो रूप नजर आते हैं चैत्र में देवी का स्वरूप प्रसन्न होता है और अश्विन में गंभीर रूप दिखाई देता है। लेकिन माता किसी भी रूप में रहे अपने भक्तो पर कृपा करती है। 

सप्तश्रृंगी, जिसे सप्तशृंगी भी कहा जाता है, भारत के महाराष्ट्र राज्य में स्थित एक प्रसिद्ध हिंदू तीर्थस्थान है। यह पश्चिमी घाट पर्वतीय सिरे में स्थित है, नाशिक शहर से लगभग 60 किलोमीटर की दूरी पर। मंदिर का समर्पण हिंदू देवी सप्तश्रृंगी देवी को है, जो माँ दुर्गा की एक अवतार मानी जाती है।

यहां सप्तश्रृंगी के बारे में कुछ जानकारी है:


पौराणिक कथा: हिंदू पौराणिक कथानुसार, सप्तश्रृंगी देवी को कहानी में माना जाता है कि वहां हावोचे कारण उपद्रव मचा रहे दानव महिषासुर को परास्त करने के लिए प्रकट हुईं। कहा जाता है कि देवी ने उस क्षेत्र को संरक्षण के लिए सात शिखरों वाले पर्वत के रूप में लिया था (इसीलिए "सप्तश्रृंगी" नाम का अर्थ होता है "सात शिखर")।

मंदिर संरचना: सप्तश्रृंगी मंदिर लगभग 1,230 मीटर की ऊचाई पर स्थित है। यह एक पहाड़ी के ऊपर बना हुआ है और आस-पास की दृश्यमय परिदृश्यों का आनंद देता है। मंदिर का संरचना सप्तश्रृंगी देवी को समर्पित मुख्य गर्भगृह के साथ कई छोटे मंदिरों का हिस्सा है, जो विभिन्न देवताओं को समर्पित हैं।

वास्तुकला: मंदिर में आधुनिक और पारंपरिक वास्तुकला का मिश्रण दिखाया गया है। मंदिर का मुख्य प्रवेश इंट्रेंस पर जटिल नक्काशी और मूर्तियों से सजाया गया है। मंदिर के अंदर, विभिन्न आभूषण और फूलों से सजी पत्थर की मूर्ति है। मंदिर के परिसर में भक्तों के लिए रीति-रिवाज करने और अर्पण करने की सुविधाएँ भी हैं।

त्योहार: मंदिर साल भर में विशेष रूप से नवरात्रि महोत्सव के दौरान अनेक भक्तों को आकर्षित करता है। नवरात्रि, जिसका अर्थ होता है "नौ रातें", एक प्रमुख हिंदू त्योहार है जो देवी की पूजा के लिए समर्पित है। इस समय मंदिर खूबसूरती से सजाया जाता है और विभिन्न सांस्कृतिक और धार्मिक कार्यक्रमों का आयोजन किया जाता है।

ट्रेकिंग: धार्मिक महत्व के अलावा, सप्तश्रृंगी अपनी आकर्षक सौंदर्यिकता और ट्रेकिंग के अवसरों के लिए भी मशहूर है। मंदिर के स्थित पहाड़ पर साहसिक उत्साहियों के लिए कई ट्रेकिंग मार्ग हैं। ये ट्रेक नेचर का आनंद लेने और पश्चिमी घाट के हरे-भरे दृश्यों का खोज करने का मौका प्रदान करते हैं।

पहुंच: सप्तश्रृंगी को नाशिक या अन्य आस-पास के शहरों से सड़क मार्ग से पहुंचा जा सकता है। मंदिर तक परिवहन के लिए नियमित बसें और टैक्सियां उपलब्ध हैं। सबसे निकटतम रेलवे स्टेशन नाशिक रोड रेलवे स्टेशन है, जो भारत के प्रमुख शहरों से सुविधाजनक संपर्क में है। सबसे निकटतम हवाई अड्डा नाशिक हवाई अड्डा है, जो सीमित संयोजन वाला है।

सप्तश्रृंगी यात्रा में सिर्फ धार्मिक अनुभव ही नहीं, बल्कि प्रकृति की सुंदरता में खुद को डुबाने का एक अवसर भी प्रदान करती है। यह क्षेत्र के भक्तों के लिए एक प्रसिद्ध तीर्थस्थान है 
देवी की यहां पर महाकाली , महालक्ष्मी और महासरस्वती के रूप मे पूजा की जाती है । 
 
 सप्तश्रुंगी माता की आरती

माता सप्तश्रृंगी कि आरती 
माता सप्तश्रृंगी, जो कि भारत के उत्तर प्रदेश राज्य में स्थित एक प्रसिद्ध शक्ति पीठ है, को भगवानी दुर्गा का एक स्वरूप माना जाता है। उन्हें सप्तश्रृंगी भी कहते हैं, क्योंकि उनके मंदिर एक पर्वतीय पर्वत में स्थित हैं जिन्हें सप्तश्रृंगी पर्वत कहा जाता है।

माता सप्तश्रृंगी की आरती को भक्ति भाव से गाया जाता है, जिससे उन्हें आनंद और सुख की प्राप्ति होती है। यहां नीचे माता सप्तश्रृंगी की आरती के पाठ के लिए एक उदाहरण दिया गया है:


आरती:


जय सप्तश्रृंगी माता, माता जय सप्तश्रृंगी।
त्रिभुवन भारती, तुम ही जगमाता॥

जय अम्बे गौरी, माता जय सप्तश्रृंगी।
मैया जय श्यामा गौरी॥

भूत प्रेत वेताल भैरवी।
भय शीतल हो नूतन भवनी॥

माँग सिंगों में लगाया।
जगदम्बे रक्षा करिया॥

तारी तारी धूप दीप नित्य, धूप दीप नित्य जो ज्वाला।
अरजि करता जो भक्त तुम्हारी, अरजि करता जो भक्त तुम्हारी ज्वाला॥

स्वर्ग में उठकर खड़ी हो जगदम्बे, स्वर्ग में उठकर खड़ी हो जगदम्बे।
ब्रह्मा-विष्णु-महेश जगत पालन करती, ब्रह्मा-विष्णु-महेश जगत पालन करती जगदम्बे॥

आरती जो जन गावे।
तेवर तुम्हरे मैया, तेवर तुम्हरे॥

माँग सिंगों में लगाया।
जगदम्बे रक्षा करिया॥

जय सप्तश्रृंगी माता, माता जय सप्तश्रृंगी।
त्रिभुवन भारती, तुम ही जगमाता॥

कृपया ध्यान दें कि यह आरती एक उदाहरण है और अलग-अलग स्थानों पर भिन्न-भिन्न रूप में माता सप्तश्रृंगी की आरतियां हो सकती हैं। इसे आप अपने भक्तिभाव से गाएं और पूजा करे 

 सप्तश्रुंगी माता का मंदिर 
माता का यह मंदिर ४८०० ऊंचे सप्तश्रुंगी पर्वत पर स्थित है, कहते कि यहां पर सात सुंदर पर्वत है सातो पर्वत श्रृंखला देखने लायक है। इस पर्वतों ने मंदिर को चारो तरफ से घेरा है इसीलिए इस मंदिर को सप्तश्रुंग कहा जाता है। 


 

श्री सप्तश्रृंगी माता, महाराष्ट्र के नशिक जिले में स्थित एक प्रमुख देवी मंदिर की प्रमुख देवी हैं। इन्हें सप्तश्रृंगी देवी भी कहा जाता है। उनके स्वरूप का वर्णन पुराणों और स्थानीय लोककथाओं में किया गया है।

सप्तश्रृंगी माता का स्वरूप सुंदर और महान है। उन्हें सात शिखरों वाला पर्वत प्रतीत होता है, जिससे उनका नाम सप्तश्रृंगी (सात शिखरों वाली) प्रगट हुआ। वे मां दुर्गा के समान दिखती हैं और श्रृंगार से सजी होती हैं। माता के हाथों में ट्रिशूल और खडग होते हैं और उनके चारों ओर लगभग सात देवताओं की एक पंथाहरिणी होती है।

सप्तश्रृंगी माता भक्तों की मनोकामनाएं पूरी करने की देवी मानी जाती हैं। उनके मंदिर में भक्तजन आकर उनसे आशीर्वाद लेते हैं और उनकी पूजा-अर्चना करते हैं। माता के दरबार में दिव्य वातावरण होता है और भक्तों को आनंद और शांति की अनुभूति होती है।

श्री सप्तश्रृंगी माता की उपासना महाराष्ट्र राज्य में बहुत प्रचलित है और उन्हें वहाँ की प्रमुख देवी माना जाता है। भक्तजन उनकी कृपा को पाने के लिए प्रतिवर्ष उनके मंदिर यात्रा करते हैं और उनके नाम की जप और आरती करते हैं


परिचय:
सप्तश्रृंगी माता, जिसे सप्तश्रृंगी देवी भी कहा जाता है, महाराष्ट्र के नासिक जिले में स्थित एक पवित्र देवी हैं। इस ब्लॉग में, हम सप्तश्रृंगी माता की महत्ता और कथाओं, उनके मंदिर के धार्मिक और सांस्कृतिक महत्व के बारे में जानेंगे।

पौराणिक महत्त्व:
सप्तश्रृंगी माता के सम्बंध में पौराणिक कथाओं का वर्णन करें, जैसे कि उनके स्वरूप का वर्णन और दुर्गा या अंबिका जैसी हिंदू देवियों से संबंध।
बताएं कि सप्तश्रृंगी पर्वत श्रृंग की सात चोटियों को देवी की प्रतीकता के रूप में कैसे प्रदर्शित किया जाता है, जो उनकी दिव्य शक्ति को प्रतिष्ठित करता है।
बताएं कि सप्तश्रृंगी माता भक्तों की इच्छाओं को पूरा करती हैं और उन्हें बुराई से संरक्षण प्रदान करती हैं।

सप्तश्रृंगी माता का मंदिर:
सप्तश्रृंगी माता मंदिर के स्थान के बारे में विस्तृत जानकारी प्रदान करें, जो नासिक के सुंदर सप्तश्रृंगी पहाड़ियों के बीच स्थित है।
मंदिर की वास्तुशास्त्रीय विशेषताओं और अद्वितीय पहलुओं पर चर्चा करें, जैसे कि प्राचीन डिजाइन, सुंदर नक्काशी, और आध्यात्मिक माहौल।
मंदिर में आयोजित वार्षिक त्योहारों और उत्सवों के बारे में बताएं, जो महाराष्ट्र के विभिन्न हिस्सों से बहुत सारे भक्तों को आकर्षित करते हैं।

यात्रा और भक्ति:
सप्तश्रृंगी माता मंदिर की यात्रा करने और देवी के आशीर्वाद को मांगने की महत्ता समझाएं।
सप्तश्रृंगी माता द्वारा प्रार्थनाओं का प्रतिशत प्राप्त करने या दिव्य हस्तक्षेप के अनुभव करने वाले भक्तों की कथाएं या प्रशंसापत्र साझा करें।
भक्तों द्वारा मंदिर में आरती, दर्शन, और प्रसाद की प्रार्थना करते समय अनुसरित धार्मिक रस्मों के बारे में चर्चा करें।
सांस्कृतिक प्रभाव:
चर्चा करें कि सप्तश्रृंगी माता के उपासना का स्थानीय समुदायों पर कैसा सांस्कृतिक और कलात्मक प्रभाव पड़ता है।
चर्चा करें कि देवी की मौजूदगी से प्रेरित भक्ति कैसे श्रद्धा को बल देती है, आस्था को मजबूत करती है, और उनके अनुयायियों के बीच एकता की भावना को प्रोत्साहित करती है।
सप्तश्रृंगी माता के समर्पित संगीत, नृत्य, और साहित्य के विभिन्न रूपों का उल्लेख करें।

सीमा के पार सप्तश्रृंगी माता:
चर्चा करें कि महाराष्ट्र के बाहर और विभिन्न क्षेत्रों और परिवेशों से सप्तश्रृंगी माता की पूजा की प्रचलन कैसे बढ़ रही है।
संदर्भ में लायें कि डिजिटल मंच और सोशल मीडिया के माध्यम से सप्तश्रृंगी माता के शिक्षाओं और सिद्धांतों के बारे में जागरूकता फैलाने के लिए कैसे प्रयास किए जा रहे हैं।
बताएं कि भक्तों द्वारा भारत या विदेश में सप्तश्रृंगी माता के मंदिर या स्मारक स्थापित किए गए हैं।

निष्कर्ष:
संक्षेप में कहें कि सप्तश्रृंगी माता एक शक्तिशाली और प्रतिष्ठित देवी हैं, जिनकी आराधना भक्तों द्वारा संपूर्णता और सुरक्षा के लिए की जाती है। उनकी पूजा से जुड़ी धार्मिक और सांस्कृतिक विरासत को और उनके अनुयायियों के जीवन पर चिरस्थायी प्रभाव को उजागर करें। पाठकों को प्रेरित करें कि वे सप्तश्रृंगी माता के आध्यात्मिक और पौराणिक विश्व का अन्वेषण करें, चाहे वह मंदिर में शारीरिक यात्रा हो या फिर दुनिया के किसी भी हिस्से से आध्यात्मिक संबंध के माध्यम से।

 

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